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पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य पर साजिश का आरोप, सीबीआई ने कहा— 158 योग्य अभ्यर्थी हुए वंचित

सीबीआई द्वारा अदालत में दाखिल चार्जशीट के अनुसार, 2014 की टीईटी परीक्षा के आधार पर 2017 में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चलाई गई थी। इस दौरान बंगाली माध्यम के प्रश्नपत्र को लेकर विवाद हुआ, जिसमें दो उत्तर विकल्प सही माने गए।

04 Jan 2025

पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य पर साजिश का आरोप, सीबीआई ने कहा— 158 योग्य अभ्यर्थी हुए वंचित

कोलकाता। पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि भर्ती प्रक्रिया में एक नंबर देने को लेकर साजिश हुई, जिसके चलते 158 योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर वंचित कर दिया गया।

सीबीआई द्वारा अदालत में दाखिल चार्जशीट के अनुसार, 2014 की टीईटी परीक्षा के आधार पर 2017 में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चलाई गई थी। इस दौरान बंगाली माध्यम के प्रश्नपत्र को लेकर विवाद हुआ, जिसमें दो उत्तर विकल्प सही माने गए। लेकिन शिक्षा परिषद ने केवल दूसरे विकल्प को सही मानते हुए अंक दिए, जबकि पहले विकल्प को चुनने वाले अभ्यर्थियों को अंक नहीं मिले।

बाद में विवाद बढ़ने पर परिषद ने पहले विकल्प को भी मान्यता देने का फैसला किया, लेकिन इसके लिए चार शर्तें रखीं। पहली शर्त अभ्यर्थी प्रशिक्षित होना चाहिए, दूसरी वह केवल एक नंबर से फेल हुआ हो, उसने बंगाली माध्यम से परीक्षा दी हो तथा उसने विवादित प्रश्न के लिए पहला विकल्प चुना हो।

इन शर्तों के आधार पर 428 उम्मीदवार अतिरिक्त नंबर के पात्र थे, लेकिन परिषद ने केवल 270 का चयन किया और इनमें से 264 को नियुक्ति दे दी गई। सीबीआई का आरोप है कि यह चयन योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि मनमाने ढंग से हुआ।

माणिक भट्टाचार्य की बैठक और पार्थ चटर्जी की मंजूरी

सीबीआई के अनुसार, 20 नवंबर 2017 को माणिक भट्टाचार्य की अध्यक्षता में परिषद के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें अतिरिक्त नंबर देने का फैसला लिया गया। इस प्रस्ताव को शिक्षा विभाग को भेजा गया, जहां 22 नवंबर को तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इसे मंजूरी दे दी। इसके कुछ ही दिनों बाद, 30 नवंबर को परिषद ने 270 अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी, लेकिन इसमें उम्मीदवारों के नाम, रोल नंबर और अन्य जरूरी जानकारी छिपा दी गई।

सीबीआई जांच में सामने आया कि 270 चयनित उम्मीदवारों में से 46 प्रशिक्षित नहीं थे, जबकि नौ ऐसे अभ्यर्थी थे जो अतिरिक्त अंक मिलने के बावजूद पास नहीं हुए, फिर भी उनका नाम सूची में था। इसके अलावा, उर्दू माध्यम के दो अभ्यर्थियों को भी मौका दिया गया, जबकि एक उम्मीदवार को गलत तरीके से अतिरिक्त अंक दिया गया।

नियुक्ति आदेश जारी, अब जांच के घेरे में

4 दिसंबर 2017 को प्राथमिक शिक्षा परिषद की तत्कालीन सचिव रत्ना चक्रवर्ती बागची ने 270 अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र जारी करने की सिफारिश जिलों को भेज दी थी। सीबीआई का कहना है कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया अवैध थी और पार्थ चटर्जी तथा माणिक भट्टाचार्य की साजिश का नतीजा थी।

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